मंगलवार, 28 अगस्त 2012
karmaa
अगर किसी के साथ आपका झगड़ा, मन मुटाव या फिर अनबन हो जाए तो बिना समय गँवाए आपस में सुलह कर लेनी चाहिए | गुरुदेव फरमाते हैं कि कभी -कभी मन मुटाव स्वाभाविक है किन्तु उसे ले कर बैठे रहना और सुलह न करना उस क्लेश को बढ़ावा देना है | यदि आप मन में संकल्प ले लें कि अगर आपका किसी के साथ कलह हुआ है तो आप उसको सुलझाये बगैर खाने का निवाला तो दूर पानी कि एक बूँद तक नहीं लोगे तो क्या फिर वो क्लेश रह पायेगा ? नहीं ना | ज्यादा से ज्यादा २४ घंटे के अन्दर ही आपस में छमा याचना कर लेनी चाहिए | इससे आपके कर्म भी नहीं बंधेंगे और रिश्तों में मधुरता बनी रहेगी | जिस तरह से पीपल के पौधा जब पनप रहा होता है तभी अगर उसको उखाड़ना हो तो वो आसानी से निकल जाता है, किन्तु जब वही पौधा पचास साल के बाद निकालना चाहोगे तो ? वो पौधा तब तक पेड़ बन जाएगा, कठोर हो जाएगा और उसकी जड़ें इतनी मज़बूत हो जायेंगी कि चाहने पर भी आप उसे पूरी तरह से नहीं निकाल पाओगे |
~ प्रवीण ऋषिजी महाराजसा ~
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